कभी सोचे हो कि अगर लफ्ज़ न होते तो किया होता?
तुमसे बातें न होती, न होता किसी ख्वाहिशें का ज़िक्र
दूरसे ही निहारते रहते, और फिर मुस्कुराके खो जाते आपनेही ख़यालो में
कभी उलझते जाते अपने मन की कास्मकास्मिसे, तो कभी खफा भी हो जाते
लेकिन कुछ कह नही पाते, लाख कोशिसोके बाद भी, कुछ कह नही पाते
कभी सोचे हो कि अगर लफ्ज़ न होते तो किया होता?
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